लोग टूट जाते हैं
एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं
खाते बस्तियां जलाने में
बशीर बद्र साहब का बहुचर्चित ये शेर ना जाने कितने
दर्दमंदों की व्यथा बयान कर जाता है ! हर धर्म शान्ति और सदभाव की सीख देता है ,लेकिन धर्म के
तथाकथित पैरोकार अशांति फेलाने में ही धर्म को बदनाम करते नज़र आते हैं !
मुज़फ्फरनगर दंगे की बात करें तो प्रशासनिक विफलता से इनकार नहीं किया जा सकता !
लेकिन उससे पहले हम सबको अपने आपको भी सच्चा धार्मिक बनाना होगा , जो अपने धर्म के
वास्तविक स्वरुप को पहचानने के साथ साथ दुसरे के धर्म का भी वास्तविक स्वरुप
पहचाने ! तब एक सही तस्वीर हमारे सामने आयेगी , और हम समझ सकेंगे की सभी धर्मो का सार एक ही है ! सब धर्म
हमको इंसान बनाने के मूल भावना संजोये हुए हैं , और हम हैं की शैतान बनने के लिए धर्म का सहारा
ले रहे हैं !
bahut khub--
ReplyDeletedhanyawad Arvind Kumar ji
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