विधानसभा चुनाव
के नतीजे को देखते हुए कांग्रेस पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव बना है । जिससे उबरने के
लिए कांग्रेसी प्रयास शुरू भी हो चुके हैं । इसी कड़ी में राहुल गांधी को युवा
शक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए सोशल मीडिया और परंपरागत प्रचार के स्रोतों
का इस्तेमाल शुरू हो चूका है । कांगेस पिछले विधानसभा चुनावों के दरमियाँ भाजपा की
मोदी विंग द्वारा सोशल मीडिया के प्रभावी इस्तेमाल को लेकर भी चिंतित है । इससे
निपटने के लिए एक विदेशी कंपनी को सोशल मीडिया की कमान सौंपने का फैसला खुद राहुल
गाँधी के दखलंदाजी के बाद लिया गया । इसके पीछे एक मोटा बजट खर्च होने की उम्मीद
है । 2014
के आम चुनाव में कांग्रेस
के लिए चुनौतियां और संभावनाएं दोनों हैं चुनाव से पूर्व अन्य दलों के साथ गंठबंधन
महत्वपूर्ण है ।लोकसभा चुनाव के सियासी गणित के लिहाज से महत्वपूर्ण माने जानेवाले
राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश आदि
में पार्टी की सेहत बेहतर नहीं दिख रही । ऐसे में राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी
चुनौती पार्टी कार्यकर्ताओं के उत्साह में आयी कमी को दूर करने की है ।कांग्रेस
पार्टी के १० साल पुराने परन्तु नए सोच वाले चिराग राहुल गांधी अपने तरकश से कई
तीर निकाल रहे हैं। एक तरफ तो अपने भाषणों में वह परंपरा, कांग्रेस पार्टी की सोच और भारत के इतिहास की
कड़ी दुहाई दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर वह विपक्ष की मार्केटिंग रणनीति को जनता के
सामने उजागर करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस से भी
डीएमके, तृणमूल कांग्रेस पहले ही अलग हो गये है । प्रमुख
सहयोगियों में सिर्फ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बची है । उसके साथ को लेकर भी
कांग्रेस को आशंका लगी रहती है ।जहां तक सपा, बसपा और राजद का
सवाल है, तो ये पार्टियां बिना मांगे समर्थन दे रही हैं । अगर तीसरा मोर्चा प्रभावी हुआ तो कम से कम सपा
तो कांग्रेस से दूर हो ही जाएगी । तमाम सर्वे में भी कांग्रेस की हालत बेहद कमजोर दिखाई जा रही है। ऐसे में कांग्रेस अपने प्लान बी पर भी काम करने में जुट गई है। कांग्रेस का प्लान
बी किसी भी तरह एनडीए को सत्ता तक
पहुंचने से रोकने का है। इसके लिए राहुल गांधी अंदरूनी
तौर पर एक प्लान तैयार कर चुके हैं। इस 'प्लान बी' के तहत राहुल कांग्रेस के समर्थन से किसी तीसरे
मोर्चे की सरकार बनवा सकते हैं। इसके बाद राहुल को कांग्रेस को मज़बूत करने का समय मिलेगा जिसके बाद राहुल मध्यावधि चुनाव
की स्थिति पैदा करवा सकते हैं।
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