सच की तलाश में शुरू हुआ सफ़र.....मंजिल तक पहुंचेगा जरुर !!!

सच की तलाश में शुरू हुआ सफ़र.....मंजिल तक पहुंचेगा जरुर !!!
AMIR KHURSHEED MALIK

Saturday, December 12, 2015

सच

सच की ही जीत होती है !
देर से ही सही , 
इन्साफ होता जरुर है !
क्या अब भी आप यही रटते रहेंगे ?
अरे , अब तो मान लीजिये !
जुर्म भी "अमीर" और" गरीब" होता है !
खैर जाने भी दीजिये जनाब !
आइये "पतंग" उड़ाते हैं !
क्या पता कल यही काम आ जाए !

Tuesday, September 8, 2015

इंसानियत को विनम्र श्रदांजलि !

कुछ हादसे "सुर्खियाँ" में जरुर आ जाते हैं  !  लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि बस यही हादसा पूरी सच्चाई है ! दिल्ली का निर्भया काण्ड लोगों बहुतों को विचलित कर गया !  लेकिन यह देश का पहला और आख़िरी बलात्कार काण्ड नहीं था ! उसके पहले और बाद में भी यह वीभत्सता बदस्तूर जारी है ! सीरिया के मासूम का मौत के आगोश में सो जाना भी कोई पहला और आखरी मामला नहीं है ! मासूमों और निर्दोषों को अपने निहित स्वार्थों के लिए बलि चढाने का यह यह अमानवीय कृत्य दुनिया के कई देशों में बदस्तूर जारी है ! हाल-बहरहाल एक दुखद घटना से ही सही, हम सब जागे तो हैं ! लेकिन यकीन मानिए, हम सब जल्दी ही सो जायेंगे !
इसके बाद जो कुछ जैसा चलता आया है
, चल रहा है , चलता रहेगा !
इंसानियत को विनम्र श्रदांजलि !   

Tuesday, September 1, 2015

please stop !

भारत से करीब पौने तीन हजार मील दूर सैकड़ों मासूमों और हजारों निर्दोषों के खून से लाल हो चुकी गाज़ा की धरती पर इजरायल का कहर अभी जारी है । दुनिया के तीन बड़े धर्मों की आस्था की धरती आज अधर्म और दरिंदगी की नई इबारत लिख रही है । पश्चिम एशिया का कुरुक्षेत्र बन चुकी गाजा पट्टी से दिल दहला देने वाली तस्वीरें आ रही हैं। पूरे विश्व में विरोध प्रदर्शन जारी हैं । पर इजरायल और उसके पैरोकारों पर कोई असर नहीं हो रहा है । उधर यूएनओ की तरफ से भी निंदा प्रस्ताव से आगे बात नहीं बढ़ पाई है । पडोसी देश इराक़ में भी आइएसआइएस और इराक़ सरकार के बीच जारी युद्ध में निर्दोषों के मरने का क्रम जारी है । और दुनिया के सामने वीभत्स चित्र लगातार लाये जा रहे हैं । मानवता पूरे विश्व से दखलंदाज़ी की अपेक्षा रखती है । पर विश्व का कोई भी देश अभी तक इस नरसंहार को रोकने के लिए आगे नहीं आया है ।

Thursday, August 20, 2015

UNSAFE BORDER

जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा और सीमा पर पाकिस्तान की ओर से हो रही नापाक हरकतें एक नये किस्म की नाउम्मीदी को जन्म दे रही हैं  । हालात सुधरने के बजाय लगातार बिगड़ते नज़र आ रहे हैं । उधर भारत-पाक सीमा पर संघर्ष की घटनाएं गंभीर रूप लेती नजर आ रही हैं, लेकिन पाकिस्तान इसे समझने को तैयार नहीं लगता । संघर्ष विराम के बाद भी घुसपैठ को बढ़ावा देने वाला पाकिस्तान वर्ष 2014-15 में संघर्ष विराम उल्लंघन के अपने ही सारे रेकॉर्ड तोड़ चुका है। भारत की नई स्थायी सरकार के आने के बाद उम्मीद बंधी थी कि सीमा पर अशांति के मामले पर लगाम लग सकेगी , पर हालात तो दिन ब दिन और बिगड़ते जा रहे हैं।  पाकिस्तान ने भारत की तरफ सीमा पर अपनी फौजों की तैनाती भी बढ़ा दी है। दोनों देशों की आबादी पूरे विश्व की लगभग एक चौथाई है और दोनों परमाणु ताकत से संपन्न हैं।  ऐसे में इन दोनों देशों में शान्ति और इनकी स्थिरता को विश्व शांति के लिए बहुत अहम माना जाता है। लेकिन इसके बावजूद अन्तराष्ट्रीय समुदाय अभी तक पाकिस्तान पर किसी भी तरह का दबाव बनाने में नाकाम रहा है ।  सीमा पर लगातार जारी इस घुसपैठ और गोलीबारी में पाकिस्तानी फौजों के साथ आतंकवादी गतिविधियों के सम्मिलित होने की बात अक्सर सामने आई है । दुनिया भर से आरोप लगते रहे हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आतंकवादियों का समर्थन करती है ।अपने ही देश में आतंकवादियों को आश्रय देने में पाकिस्तान की नीति के चलते पाकिस्तान को विश्व समुदाय से खरी-खोटी तो सुनने को मिली , पर अमेरिका समेत सारे देश पाकिस्तान में चल रही इन गतिविधियों पर रोक लगाने में नाकामयाब रहे हैं ।   दोनों देशों के बीच कश्मीर विवाद की एक बड़ी जड़ है ,और पाकिस्तान के एक वरिष्ठ राजनयिक का कहना है, “सीमा के दोनों पार खेल खराब करने वाले बैठे हैं, जो शांति नहीं देखना चाहते हैं.” सीमा पर पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ लश्कर आतंकियों की मौजूदगी का पता चला है। घुसपैठ और भारत में बड़े आतंकी हमले कराके पाकिस्तानी सेना अपनी अंदरूनी समस्या से ध्यान बंटाना चाहती है।

Friday, August 7, 2015

DUSTBIN


आईये अपने सपनो के एक घर की कल्पना को हकीक़त में बदलते देखने की कोशिश करते हैं ! हमारे घर में क्या कुछ हो सकता है , उसकी रूपरेखा  बना लीजिये ! हमारे छोटे से घर में, जिसमें बहुत खूबसूरत लॉन(LAWN) से अन्दर पहुँचते ही एक ड्राइंगरूम(DRAWINGROOM), हमारे अतिथियों के स्वागत के लिए तैयार होगा ! हमारे परिवार के लिए एक शांत शयनकक्ष(BEDROOM), जिसमें हम सब अपनी नींद पूरी कर सकें ! स्वादिष्ट खाना बनाने के लिए एक रसोई तो होनी ही चाहिए !  लेकिन यह सब कुछ खाली खाली सा लग रहा है ! अब इस खाली पड़े घर में कुछ जरुरत की मुताबिक़ सामान तो इकठ्ठा कर लेते हैं ड्राइंगरूम में कुछ सोफ़े, कुर्सियां तो होनी ही चाहिए ! शयनकक्ष के लिए चारपाई या डबल बेड तो लाना ही पड़ेगा ! कुछ घरेलु जरुरत की  चीज़ें, जैसे किचन के लिए गैस स्टोव आदि बुनियादी जरूरते भी जुटानी पड़ेंगी ! आईये फिर चलते हैं किसी कूड़ाघर में , और तलाश करते हैं अपनी जरुरत का सामान ! क्या ? आप चोंक क्यों गए ! क्या आप अपने घर को कूड़ा घर के सामान से नहीं संजाना चाहेंगे ?
हम अपने घर में तो कोई भी कूड़ा-करकट पसंद नहीं करते ! लेकिन अपने शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग “दिमाग” में पूरे संसार की गन्दगी भरने से कोई गुरेज़ नहीं करते ! जितने भी नकारात्मक विचार संभव हैं , उनको आने देने के लिए हमारे मस्तिष्क के द्वार सदा खुले रहते हैं ! अगर अनजाने में ऐसा हो जाए , तो बात समझ में आती है ! लेकिन अक्सर हम जानते-बूझते चुपचाप नकारात्मकता को स्वीकारते हैं ! जबकि इसका सबसे पहला दुष्प्रभाव हमारे स्वयं के ऊपर ही पड़ना होता है ! जरा सोचिये , जब हम अपने अस्थाई निवास के लिए कूड़ा करकट पसंद नहीं करते हैं ! तो अपने शरीर के विशिष्ठ अंग के साथ यह बर्ताव क्यों ?

Tuesday, August 4, 2015

बयानबाजियों में उलझती राजनीति

आज राजनीति कर्म से आगे बढ़ कर सिर्फ बयानबाजियों में उलझती नज़र आ रही है । अलग-अलग मुद्दों पर अलग-अलग पक्षों की बयानबाजियाँ और राजनीतिक दलों की खींचतान के साथ ही माहौल में गर्माहट पैदा हो जाती है। शायद बयान देने वालों का मकसद भी यही हालात पैदा करना होता है । अक्सर ही ऐसे बेतुके बयान सामने आ जाते हैं । हालांकि ऐसे बयानों से सम्बंधित दल फ़ौरन ही किनारा कर लेता है । परन्तु मीडिया में चर्चा पा चूका बयान अपने उद्देश्य को पूरा कने में जुट जाता है किसी भी महानुभाव को संवैधानिक दायरे में ही सार्वजनिक बातचीत को रखना चाहिए। यकीनन यह हालात बदलने चाहिए । देश के संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को संविधान के दायरे में ही हल ढूंढना चाहिए । असंवैधानिक भाषा और असंसदीय आचरण से देश जुड़ता नहीं , बिखरता है । लोगों में उन्माद भरने से मसले सुलझते नहीं , उलझते हैं । 

Sunday, August 2, 2015

development v/s damages

इस तरह के हमारे पास अनगिनत प्रमाण मिल सकते हैं जहाँ इंसान ने प्रकृति को नाराज़ करके आपदा झेली है । यह सिर्फ भारत में ही नहीं है । अमेरिका, चीन, ब्रिटेन जैसी महाशक्तियां भी अपने विकास की कीमत समय-समय पर चुकाती रहती हैं । पिछले कुछ वर्षों में मानसून का चक्र बदला है। जहां ज्यादा वर्षा होती है तो वहां उसका स्तर बढ़ता ही चला जाता है। जहां सूखा पड़ता है तो वह भी शिखर पर पहुंच जाता है। वैज्ञानिकों की राय में इस वक्त हम एक्स्ट्रीम वैदरका सामना कर रहे हैं और ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। हम लोग कुदरत के साथ जो छेड़छाड़ कर रहे हैं, जिस प्रकार उसे बाधित कर रहे हैं, उसका परिणाम हमें इन बढ़ते सैलाब के रूप में देखने को मिल रहा है। पानी रोकने के लिए तालाब जैसे तरीके खत्म होते जा रहे हैं और आबादी पर कोई नियंत्रण नहीं है। ये सब मिलकर समस्या को बढ़ा रहे हैं। विकास की आड़ में प्राकृतिक क्षेत्रों को नुक्सान पहुंचाया गया है। विकास के नाम पर अतिक्रमण का खामियाजा आखिर हमें ही भुगतना पड़ रहा है।

Friday, July 31, 2015

'अच्छे दिन'

'अच्छे दिन' के वायदे के साथ सत्ता में आए मोदी ने कहा है कि आम लोगों के लिए 'बुरे दिन गए' और बुरा करने वालों के और 'बुरे दिन आएंगे'। उन्हें ध्यान रखना होगा कि पिछली सरकार की नाकामियों पर एक हद तक ही बात की जा सकती है, अंततः जनता उनकी सरकार के कामकाज को ही कसौटी पर कसेगी।बयानों को पूरे पांच साल की उपलब्धि नहीं बनाया जासकता । अभी भी चार साल बाकी हैं ।जिसमें करने को मोदी सरकार के पास काफी कुछ है ।लोगों ने संसद की सीढ़ियों पर आँसुओं को छलकते देखा। देश का सबसे ताक़तवर नागरिक सड़क पर झाड़ू लेकर निकल सकता है ।देखा कि कैसे मंत्रियों की क्लास लगाई जा रही है।इन सब बातों का असर देश में तो गया है ।लेकिन अंतिम निर्णय तो देश के सामूहिक विकास की निष्पक्ष परिभाषा ही तय करेगी ।

Sunday, July 5, 2015

एक और स्वतंत्रता दिवस

उल्लास और उमंग से भरा एक और स्वतंत्रता दिवस का हमारे सामने आने ही वाला है यक़ीनन यह गर्व् करने लायक पल होते हैं आखिर इसी दिन दुनिया के सबसे लोकतंत्र नें अपने अस्तित्व की जंग फतह की था लेकिन इससे हटकर भी कुछ कड़वी सच्चाइयाँ हैं हम हिन्दुस्तानियों का एक बड़ा हिस्सा अपने राष्ट्रीय पर्वों को सरकारी छुट्टी से ज्यादा नहीं समझता हम सबका जो जुड़ाव और उत्साह अपने राष्ट्रीय पर्वों के लिए होना चाहिए , नदारद दिखता है यह कोई अच्छी स्थिति हरगिज़ नहीं है अगर हम ईद,होली,दीवाली की ख़ुशी मना सकते है , तो राष्ट्रीय पर्व क्यों अनछुये रह जाते हैं अपनी गली-मौहल्ले में हम क्यों नहीं बधाईयाँ देते नज़र आते ? क्यों हमारी सक्रियता सिर्फ सोशल मीडिया पर ही नज़र आती है ? आखिर हमारी देशभक्ति किसी क्रिकेट मैच की मोहताज़ क्यों रहती है ? ऐसे अनगिनत सवाल मुझे परेशान करते हैं क्या आपको लगता है कि कभी इन सवालों के जवाब ढूंढें जा सकेंगे ?

Saturday, July 4, 2015

आतंकवाद - एक बड़ी समस्या

विश्व के सामने आतंकवाद एक बड़ी समस्या बन कर आ खड़ा हुआ है । विश्व अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा आतंकवाद को फैलाने और रोकने के नाम पर खर्च होता है । अनगिनत निर्दोषों की हत्या और बहुमूल्य संपत्ति का नुकसान मात्र राजनितिक बयानबाजियों के बाद भुला दिया जाता है । दावे अनगिनत किये जाते हैं, पर वास्तविकता यही है की असल समस्या दिन ब दिन विकराल रूप धारण करके हमारे सामने मौजूद है इससे निज़ात पाने का न तो अब तक आत्मबल जुटा पाये हैं, और न ही पूरी शक्ति से इस कुचक्र को कुचलने को कोई रणनीति ही बना पाये हैं। प्रत्येक आतंकी घटना की पुनरावृति के बाद हमारे शासक उन्हीं घिसे-पिटे शब्दबाणों से प्रहार करते हैंजैसे यह भी रस्म अदायगी का एक आवश्यक उपक्रम भर रह गया है। जिस अमेरिका ने कभी मजहबी आतंकवाद को रूस के खिलाफ इस्तेमाल किया और इसे संरक्षण भी दिया था। वो खुद उसी आतंकवाद का शिकार हुआ। मजहब आधारित आतंकवाद के खिलाफ अभियान में अमेरिका को खरबों डॉलर झोंकना पड़ा। ओसामा बिन लादेन का सफाया करने में सफलता जरूर मिली, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ खरबों डॉलर झोंकने से एक खतरनाक स्थिति यह पैदा हुई , कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई। आज इस अमेरिकी गलती को आज सारा विश्व भुगत रहा है । भारत के लिए यह मामला कुछ ज्यादा ही महत्वपूर्ण हो जाता है । भारत से लगे देशों में आतंकवाद की फसल दिन दुनी – रात चौगुनी तरक्की कर रही है । सूचनाओ को इकठ्ठा करने की लम्बी चौड़ी कवायद के बाद भी हम हादसों को रोक नही पा रहे हैं ।

Monday, June 29, 2015

इंसानियत

बस यूँ ही ........ चलते - चलते 
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दुनिया के तमामतर धर्म 
इंसानियत की ही पैरवी करने का 
दावा करते नज़र आते हैं ।
लेकिन ,
इनके तथाकथित सर्वश्रेष्ठ पैरोकारों के आचरण में ,


कहीं भी इंसानियत नज़र नहीं आती ।
बस यूँ ही ,चलते-चलते ख्याल आ गया ।

Friday, June 26, 2015

ख्याल आ गया !

बस यूँ ही चलते-चलते ......
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सोशल मीडिया ने अनजाने रिश्तों को पहचानने का एक मौका तो दिया है !
पर ....
जाने-पहचाने रिश्तों के दरमियाँ दूरियां कुछ बढ़ सी गई हैं !
जरा सोचिये ,
बस यूँ ही चलते-चलते ..................ख्याल आ गया !

बस यूँ ही चलते-चलते ......

बस यूँ ही चलते-चलते ......
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किसी के पास इतना पैसा है कि उसको कहाँ रखे , 
इस मुसीबत का सामना कर रहा है !
और यह कमबख्त स्विस बैंक....... 
किसी न किसी नाम का खुलासा हो ही जाता है !
पर ....
किसी के पास इस वक़्त खाने के बाद ,
शाम के पेट भरने का इंतज़ाम भी नहीं है !
अरे कुछ नहीं ........... ,
बस यूँ ही चलते-चलते ..................ख्याल आ गया !

चलते-चलते

बस यूँ ही , चलते-चलते ......
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सोशल मीडिया पर जितनी आदर्शवादिता की सीख मै खुद पोस्ट करता हूँ , 
अगर उसकी आधी भी मै खुद अमल में ले आता ,
तो ......... अब तक “मैं” ,
“मैं” से निकल कर “आदमी” बन गया होता ! ! !
अरे अरे ..... आप नाराज़ मत होइए ,
यह मेरा निशाना 100% खुद पर ही है !
हम्म ...... बोले तो ..... ‘आत्मविश्लेषण’
बस यूँ ही चलते-चलते ..................ख्याल आ गया !

बस यूँ ही

बस यूँ ही , चलते-चलते ......
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फेसबुक पर एक आईडी बनाइये , 
और लग जाइए किसी अर्थहीन बहस में ,
कुछ ही देर में आपका “मैं” ,
एक अदभुत श्रेष्ठता की अनुभूति पालेगा ! ! !
और बिना जानकारी के ही आपका नाम ,
जानकारों की फेरहिस्त में ,
आपकी अपनी ही ही नज़रों में दर्ज हो जाएगा !!!
बस यूँ ही चलते-चलते ..................ख्याल आ गया !

Wednesday, April 15, 2015

बयानबाजियों में उलझती सरकार

मुस्लिम समुदाय से वोट देने का अधिकार छीन लेने के शिवसेना नेता संजय राउत के बयान से उपजी सरगर्मियां ख़त्म होती नज़र नहीं आ रही । इस मुद्दे पर दोनों  पक्षों की बयानबाजियाँ और राजनीतिक दलों की खींचतान के साथ ही माहौल में गर्माहट पैदा हो गई । शायद बयान देने वालों का मकसद भी यही हालात पैदा करना था । इसी मकसद से यह बेतुका बयान आया था । हालांकि मुस्लिम समुदाय से वोट देने का अधिकार छीन लेने के शिवसेना नेता संजय राउत के बयान से सरकार और भाजपा ने किनारा कर लिया है । परन्तु इस बयान की निंदा करने का साहस भी सरकार नहीं दिखा सकी है। ऐसे में अल्पसंख्यक समुदाय में बयान के विरोध में स्वर उपजना स्वाभाविक है । मुस्लिम धर्मगुरुओं  ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि केंद्र में सत्तारुढ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दल शिवसेना के इस बयान पर नरेन्द्र मोदी सरकार को अपना रख साफ करना चाहिये ऐसे माहौल में एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी कहाँ चुप रह सकते थे । ओवैसी ने भी मौके का फायदा उठाते हुए चौके लगाने की कोशिश शुरू कर दी ।
हमारे देश में मतदान का अधिकार संविधान के दायरे में आता है । परन्तु किसी भी महानुभाव ने संवैधानिक दायरे में इस बातचीत को परखने का दुस्साहस नहीं । भारत दुनिया का सबसे बडा लोकतंत्र है, जिसके बुनियादी उसूलों में धर्मनिरपेक्षता अपना अहम स्थान रखती है यह सही है कि राजनीतिक पार्टियां अब तक मुसलमानों को वोट बैंक की तरह सिर्फ इस्तेमाल करती रही हैं । साथ ही साथ यह सच्चाई भी किसी से छुपी नहीं है कि मुसलमानों को सिर्फ वायदे मिले हैं । विकास की तरफ उनके क़दमों को बढाने के लिए कोई भी सरकारी योजना और कार्यक्रम व्यावहारिक धरातल पर फिसड्डी ही साबित हुए है । अनगिनत कार्यक्रम सिर्फ घोषणाओं में ही नज़र आये ।  यकीनन यह हालात बदलने चाहिए । लेकिन मुस्लिमों से मताधिकार छीन लेना, इस समस्या का हल कतई नहीं है। देश के संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को संविधान के दायरे में ही हल ढूंढना चाहिए । असंवैधानिक भाषा और असंसदीय आचरण से देश जुड़ता नहीं , बिखरता है । लोगों में उन्माद भरने से मसले सुलझते नहीं , उलझते हैं । 

अब समय आ गया है कि देश के प्रधानमन्त्री को भी देश वासियों के बीच इस नफ़रत के बीज बोने वाले लोगो पर सख्त रवैय्ये के संकेत देने होंगे । विदेशों में आदर्श स्थितियों की परिकल्पना प्रस्तुत करने के साथ साथ देश में भी वैसी ही जमीन सच में तैयार भी करनी होगी । वरना सरकार के मुखिया होने के नाते प्रधानमन्त्री अपने ही सहयोगियों की इस बयान बाजियों के दाग से छुटकारा नहीं पा पाएंगे । दूसरी तरफ ओवैसी जैसे नेताओं को भी अपनी भाषा में वही संयम लाना होगा जिसकी अपेक्षा वह दूसरों से कर रहे हैं ।

Saturday, April 4, 2015

उर्दू कहानी के सशक्त हस्ताक्षर : खुर्शीद मलिक

आज उनको हमसे बिछड़े हुए 12 साल हो गए यकीनन वक़्त हर जख्म पर मरहम रख देता है पर कुछ कमियां कभी पूरी नहीं हो सकती 04 अप्रैल 2003 को हमारे वालिद और उर्दू अफसानानिगार जनाब खुर्शीद अहमद मलिकहम सब को अकेला छोड़ कर दुनिया को अलविदा कह गए थे इस्लामियां इंटर कॉलेज में अंग्रेजी के प्रवक्ता के पद पर कार्यरत रहते हुए भी उर्दू अदब से उनका लगाव बेमिसाल था उनके अनगिनत उर्दू अफ़साने देश-विदेश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए उनके कहानी संग्रह सिमटी हुई किरचेंऔर रिश्तों का बोझको काफी पसंद किया गया था इनको कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए थे इसके अलावा उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हुईं जहान -अफसानासहित कई कहानी संग्रहों का उन्होंने सम्पादन किया रूसी कहानियों के उर्दू में अनुवाद के लिए उन्हें काफी प्रशंसा मिली प्रसिद्ध उर्दू लेखक रामलालके साहित्यिक पत्रों पर विशिष्ठ लेखन के लिए उर्दू साहित्य जगत में उन्हें काफी सराहा गया इसको एक पुस्तक के रूप में भारत के साथ पाकिस्तान में भी प्रकाशित होने का मौका मिला कई बड़े अंग्रेजी के लेखकों की रचनाओं को उर्दू और हिंदी के पाठकों तक पहुचाने के लिए उनका अनुवाद का काम पूरे जीवन चलता रहा बेडमिन्टन के अच्छे खिलाड़ी मोहतरम खुर्शीद अहमद मलिकसाहब के वालिद आस मोहम्मद मलिकइस्लामियां इंटर कॉलेज में प्रिंसिपल थे अंग्रेजी के अध्यापक,उर्दू और हिंदी के लेखक खुर्शीद अहमद मलिकसाहब ने हाई स्कूल के लिए गणित विषय की पाठ्य पुस्तक भी लिखी थी जिसको उस समय कई विद्यालयों में काफी सराहना भी मिली थी  खुर्शीद अहमद मलिकसाहब की पत्नी शमा अज़ीज़नेशनल गर्ल्स इंटर कॉलेज में होम साइंस की लेक्चरार रही हैं खुर्शीद अहमद मलिकके कई कहानी संग्रहों के आवरण पृष्ठ के चित्र उनकी ही कला का नमूना होते थे उनकी दो बहने डा. सुरैय्या मलिक और डा. शहनाज़ मलिक हैं जो कानपुर में रहती हैं तीन बेटे:-ई० आमिर मलिक,डा.कादिर मलिक,डा.यासिर मलिक हैं