आईये अपने सपनो के एक घर की कल्पना को हकीक़त में बदलते देखने की कोशिश करते हैं ! हमारे घर में क्या कुछ हो सकता है , उसकी रूपरेखा बना लीजिये ! हमारे छोटे से घर में, जिसमें बहुत खूबसूरत लॉन(LAWN) से अन्दर पहुँचते ही एक ड्राइंगरूम(DRAWINGROOM), हमारे अतिथियों के स्वागत के लिए तैयार होगा ! हमारे परिवार के लिए एक शांत शयनकक्ष(BEDROOM), जिसमें हम सब अपनी नींद पूरी कर सकें ! स्वादिष्ट खाना बनाने के लिए एक रसोई तो होनी ही चाहिए ! लेकिन यह सब कुछ खाली खाली सा लग रहा है ! अब इस खाली पड़े घर में कुछ जरुरत की मुताबिक़ सामान तो इकठ्ठा कर लेते हैं ड्राइंगरूम में कुछ सोफ़े, कुर्सियां तो होनी ही चाहिए ! शयनकक्ष के लिए चारपाई या डबल बेड तो लाना ही पड़ेगा ! कुछ घरेलु जरुरत की चीज़ें, जैसे किचन के लिए गैस स्टोव आदि बुनियादी जरूरते भी जुटानी पड़ेंगी ! आईये फिर चलते हैं किसी कूड़ाघर में , और तलाश करते हैं अपनी जरुरत का सामान ! क्या ? आप चोंक क्यों गए ! क्या आप अपने घर को कूड़ा घर के सामान से नहीं संजाना चाहेंगे ?
हम अपने घर में तो कोई भी कूड़ा-करकट पसंद नहीं करते ! लेकिन अपने शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग “दिमाग” में पूरे संसार की गन्दगी भरने से कोई गुरेज़ नहीं करते ! जितने भी नकारात्मक विचार संभव हैं , उनको आने देने के लिए हमारे मस्तिष्क के द्वार सदा खुले रहते हैं ! अगर अनजाने में ऐसा हो जाए , तो बात समझ में आती है ! लेकिन अक्सर हम जानते-बूझते चुपचाप नकारात्मकता को स्वीकारते हैं ! जबकि इसका सबसे पहला दुष्प्रभाव हमारे स्वयं के ऊपर ही पड़ना होता है ! जरा सोचिये , जब हम अपने अस्थाई निवास के लिए कूड़ा करकट पसंद नहीं करते हैं ! तो अपने शरीर के विशिष्ठ अंग के साथ यह बर्ताव क्यों ?
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