'अच्छे दिन' के वायदे के साथ सत्ता में आए मोदी ने कहा है कि आम लोगों के लिए 'बुरे दिन गए' और बुरा करने वालों के और 'बुरे दिन आएंगे'। उन्हें ध्यान रखना होगा कि पिछली सरकार की नाकामियों
पर एक हद तक ही बात की जा सकती है, अंततः जनता उनकी सरकार के कामकाज को ही कसौटी पर कसेगी।बयानों को पूरे पांच साल
की उपलब्धि नहीं बनाया जासकता । अभी भी चार साल बाकी हैं ।जिसमें करने को मोदी
सरकार के पास काफी कुछ है ।लोगों ने संसद की सीढ़ियों पर आँसुओं को छलकते देखा। देश
का सबसे ताक़तवर नागरिक सड़क पर झाड़ू लेकर निकल सकता है ।देखा कि कैसे मंत्रियों की
क्लास लगाई जा रही है।इन सब बातों का असर देश में तो गया है ।लेकिन अंतिम निर्णय
तो देश के सामूहिक विकास की निष्पक्ष परिभाषा ही तय करेगी ।
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