मोदी सरकार 6
महीने गुजरने के साथ ही ““यू टर्न” सरकार” का तमगा हासिल
करने में कामयाब रही है। बीमा विधेयक हो या बांग्लादेश के साथ सीमा समझौता , एफडीआई
में विदेशी निवेश बढाने की नीति हो या नेताजी सुभाषचंद्र बोस की फाइलों के सच को
छुपाने की चाहत । आज भाजपा की सरकार वही कर रही है जो संप्रग सरकार करना चाहती थी ।
कालाधन , एफडीआई , पाक का मुंहतोड़ जवाब ,जैसे कई मुद्दों पर बीजेपी का रुख बदला
हुआ नज़र आरहा है । यह
कहना गलत ना होगा कि आज भाजपा सरकार अपने परंपरागत वादों से मुकरती नज़र आ रही है । उधर अगर
दुसरे पहलू पर देखें तो आज कई मुद्दों पर कांग्रेस की वही राय है ,जो
विपक्ष में रहते हुए भाजपा बोलती थी । हालाँकि सरकार का दावा है कि उसने छह महीने
में बहुत कुछ कर दिया है । भाजपा को एक के बाद एक चुनावी कामयाबी भी मिल रही है, लेकिन हर चुनावी
कामयाबी के बाद उम्मीदों की संख्या भी बढती जा रही है। सिर्फ 6 माह में हर उम्मीद
तो परवान नही चढ़ सकती पर ऐसे में बीजेपी के पुराने वायदों पर सबकी नज़र जाना
स्वभाविक है ।
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