सच की तलाश में शुरू हुआ सफ़र.....मंजिल तक पहुंचेगा जरुर !!!

सच की तलाश में शुरू हुआ सफ़र.....मंजिल तक पहुंचेगा जरुर !!!
AMIR KHURSHEED MALIK

Tuesday, December 23, 2014

बलात्कार अर्थात सामाजिक बेशर्मी

बलात्कार के अधिकतर मामलों में महिला का कोई करीबी या जानकार बलात्कार के मामले में शामिल होता है । जिससे घटना को होने से पहले रोक पाने में पुलिस की भूमिका कम प्रभावी हो पाती है । लेकिन अगर त्वरित कार्यवाही और सजा के उदाहरण सामने हों । तो घटनाओं पर लगाम लग सकती है । दुखदाई पहलु यह है कि पीडिता को ही समाज भी तिरस्कार देता है । जिससे आरोपियों के होसले बुलंद होते हैं । कोई घटना होने पर सामाजिक संघटनो का प्रतिरोध सड़कों पर नज़र आता है ।उस वक़्त कार्यवाही के लम्बे चौड़े वायदे होते हैं । तत्पश्चात व्यवस्था फिर उसी ढर्रे पर सवार नज़र आती है । क्या हमें बार-बार बलात्कार की घटना हो जाने के बाद प्रतिवावद और आंदोलन की जरूरत है ? आखिर क्यों नहीं एक सशक्त कानून और उसका पालन करता तंत्र सामने आता ? आखिर क्यों नहीं हमारा समाज पीडिता के पक्ष में , और आरोपी के विरोध में मजबूती के साथ नज़र आता है ?  सामाजिक बेशर्मी और प्रशासनिक शिथिलता के कारण इसके उत्तर लापता हैं। 

No comments:

Post a Comment