पिछले चार वर्षों के दौरान अंडे, फलों, दूध, सब्ज़ियों और दूध के दामों में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है। मांस और मछली के दाम में तो यह और भी ज्यादा है । मांग और आपूर्ति के बीच सामंजस्य भी गड़बड़ाया है । भारत में बहुत सारा अनाज
अपर्याप्त और कम गुणवत्ता वाली भंडारण सुविधाओं के चलते सड़ जाता है । हमारे देश
में इससे बड़ी विडम्बना क्या हो सकती है कि एक तरफ गोदामों में अनाज सड़ रहा है और
दूसरी तरफ लोग भुखमरी का शिकार हो रहे हैं। हाल ही में ब्रिटेन स्थित मैकेनिकल
इंजीनियर्स इंस्टीट्यूशन द्वारा एक ताज़ा रिपोर्ट में बताया था कि भारत में हर साल
खेत से ग्राहकों तक पहुँचने के दौरान अपर्याप्त कोल्ड स्टोरों के कारण 40 प्रतिशत फल औऱ सब्जियां ख़राब हो जाते हैं । इस समस्सया से सरकार को जूझना ही
होगा । वरना जमाखोरों के वर्चस्व को नकारना असंभव होगा । शुरूआती दौर में
इन्वेस्टमेंट के बाद इस योजना के दीर्घकालिक परिणाम बहुत अच्छे हो सकते हैं । देश
में दुग्ध उत्पाद की कमी है किंतु निर्यात बदस्तूर जारी है। देश के लोग कृषि
उत्पादों की महंगाई से बेहद त्रस्त हैं, किंतु कृषि उत्पादों का
निर्यात तेजी से बढ़ रहा है। विदेशी मुद्रा के लिए
निर्यात आवश्यक है , पर देशी मूल्य वृद्धि की कीमत पर इसको सराहा नहीं जा सकता ।
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