एक बड़ा धमाका हुआ , लेकिन
उसके बाद कहीं कुछ नज़र नहीं आ रहा था । एक धूएँ का सैलाब और आग के दहकते गोले आसमान
की तरफ लपके । कई किमी का इलाका एक बड़े भूकंप की तरह हिल गया । किसी की कुछ भी समझ
में नहीं आ रहा था । आखिरकार पता चला कि अति विकसित एवं मानवता के पोषक होने का दम
भरने वाले अमेरिका ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पहले
परमाणू बम का दुरूपयोग कर लिया है । कई लाख लाशों के बीच से बच्चों और औरतों की हजारों
लाशें सवाल कर रही थी, कि आखिर हम बेगुनाहों पर यह जुल्म क्यों किया गया ? यह
तारीख 6 अगस्त 1945 तो आज भी सबको याद है । आज के ही दिन अमेरिका
ने जापान के शहर हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम गिराया था । उस वक़्त हुई तबाही के
खौफनाक नजारों की बात तो जाने ही दीजिये, आज भी उस इलाके
के बच्चों में परमाणू विकिरण के असर देखे जा सकते हैं । मानवता को शर्मसार करने वाली इस कार्यवाही के बाद भी अमेरिका को सुकून नहीं
मिला । इसके तीन दिन बाद यानी 9 अगस्त को नागासाकी पर परमाणु
बम गिराया गया । इस बर्बरता से द्वितीय विश्व युद्ध के
हालात तो बदल ही गए , जापान को बर्बादी के एक लम्बे दौर से गुजरना पड़ा । अमेरिकी वायु सेना के जिस अधिकारी (राबर्ट
लुइस) के विमान से यह परमाणु बम फेका गया था , उसके ही शब्दों में .....
“As the bomb fell over Hiroshima and exploded, we saw an entire city disappear. I wrote in the log of my words: “My God, what have we done?” -Robert Lewis
हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने के बाद 13 वर्ग किलोमीटर के दायरे में जो कुछ भी था , पूरी तरह उजड़ गया था । शहर में मौजूद 60 प्रतिशत भवन तबाह हो गए थे। शहर की साढ़े तीन लाख आबादी में से एक लाख चालीस हजार लोग मारे गए थे। बहुत सारे लोग बाद में विकिरण के कारण मौत का शिकार हुए। नागासाकी में 74 हजार लोग मारे गए थे । आखिरकार जापान ने 14 अगस्त, 1945 को हथियार डाल दिए । हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूज़वेल्ट के संदर्भ में 'लिटिल ब्वॉय' कहा गया, और नागासाकी के बम को इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के संदर्भ में 'फैट मैन' कोडनेम दिया गया। सत्ता,सामर्थ्य, और अहंकार की अति से हुई क्षति का ज्वलंत उदाहरण हिरोशिमा और नागासाकी की तबाही में नज़र आता है । इस घोर विनाश के परिणामस्वरूप हुए नुकसान का तो आज तक भी अनुमान नहीं लगाया जा सका है । लेकिन उस दिन हुई तबाही से हमने आज भी कुछ सबक लिया हो , ऐसा भी कहीं नज़र नहीं आता । जापान के हिरोशिमा शहर के पीस पार्क में एक मशाल हमेशा जलती रहती है। जब तक दुनिया में व्यापक विनाश का एक भी हथियार है, यह मशाल जलती रहेगी ।हम आज भी परमाणू शक्ति को शांति की जगह हथियार के रूप में इस्तेमाल करने को तैयार हैं । काश विनाशकारी उन यादों से हम कुछ सबक ले पायें !
“As the bomb fell over Hiroshima and exploded, we saw an entire city disappear. I wrote in the log of my words: “My God, what have we done?” -Robert Lewis
हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने के बाद 13 वर्ग किलोमीटर के दायरे में जो कुछ भी था , पूरी तरह उजड़ गया था । शहर में मौजूद 60 प्रतिशत भवन तबाह हो गए थे। शहर की साढ़े तीन लाख आबादी में से एक लाख चालीस हजार लोग मारे गए थे। बहुत सारे लोग बाद में विकिरण के कारण मौत का शिकार हुए। नागासाकी में 74 हजार लोग मारे गए थे । आखिरकार जापान ने 14 अगस्त, 1945 को हथियार डाल दिए । हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूज़वेल्ट के संदर्भ में 'लिटिल ब्वॉय' कहा गया, और नागासाकी के बम को इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल के संदर्भ में 'फैट मैन' कोडनेम दिया गया। सत्ता,सामर्थ्य, और अहंकार की अति से हुई क्षति का ज्वलंत उदाहरण हिरोशिमा और नागासाकी की तबाही में नज़र आता है । इस घोर विनाश के परिणामस्वरूप हुए नुकसान का तो आज तक भी अनुमान नहीं लगाया जा सका है । लेकिन उस दिन हुई तबाही से हमने आज भी कुछ सबक लिया हो , ऐसा भी कहीं नज़र नहीं आता । जापान के हिरोशिमा शहर के पीस पार्क में एक मशाल हमेशा जलती रहती है। जब तक दुनिया में व्यापक विनाश का एक भी हथियार है, यह मशाल जलती रहेगी ।हम आज भी परमाणू शक्ति को शांति की जगह हथियार के रूप में इस्तेमाल करने को तैयार हैं । काश विनाशकारी उन यादों से हम कुछ सबक ले पायें !
“If the Third World War is fought with nuclear weapons, the fourth will be
fought with bows and arrows.” -Louis Mountbatten
उन लाखों बेक़सूर मृतकों को
भाव भीनी श्रदांजलि !