सच की तलाश में शुरू हुआ सफ़र.....मंजिल तक पहुंचेगा जरुर !!!

सच की तलाश में शुरू हुआ सफ़र.....मंजिल तक पहुंचेगा जरुर !!!
AMIR KHURSHEED MALIK

Thursday, March 24, 2016

सभी "परिवारजनों" और "दोस्तों" को होली की "हार्दिक" शुभकामनाऐं।


Wednesday, March 16, 2016

मुलाक़ात से मुक्का लात तक

अक्सर हम सभी सोशल मीडिया पर बुराई की शिकायत करते हैं । हालांकि असल ज़िन्दगी में भी तमामतर स्वभाव वाले लोग मौजूद हैं । लेकिन हमारी उनसे एक साथ मुलाक़ात नहीं होती । असल ज़िन्दगी में हम अपने जैसे कुछ चुनिन्दा मित्रों के साथ , अपने ही पसंदीदा विषय पर बात करते हैं । अपनी विचारधारा और सोच के चश्में से अलग हट कर ना ही बोलना चाहते हैं , और ना ही सुनना चाहते हैं । असल ज़िन्दगी के उलट आभासी दुनिया सभी विषयों , मतों , विचारों पर सबको एक साथ अभिव्यक्ति की छूट देती है । जिसमें से कुछ सही होता है , तो कुछ गलत भी होता है । चौराहे की गप्पबाजियां संवेदनशील मुद्दों पर भी अपने चिर परिचित अंदाज़ में चाशनी लगा कर मौजूद रहती हैं । उनमे शायद यह समझने की कुव्वत नहीं रहती कि उनकी यह बात एक बड़े मंच पर बहुत तेज़ी से अपना दुष्प्रभाव छोड़ने जा रही है । दो-चार लोगों में ही सिमट कर ख़त्म होने लायक बात एक बड़े तबके तक पहुँच जाती है । तत्पश्चात यह आभासी दुनिया पूरी वास्तविकता के साथ मुक्का लात की सहूलियत देती है । इसमें यकीनन इस आभासी दुनिया का दोष नहीं है । यह उन तमाम लोगों की गलती है जो अपने वास्तविक जीवन में भी गलत ही बयान करते आये हैं । यह शायद हमारे असल समाज का सामूहिक प्रतिबिम्ब ही है, जिसकी भर्त्सना हम चाहे जैसे करें , लेकिन इस बड़ी तस्वीर के एक कोने में एक छोटा सा अक्स हमारा भी है ।

Saturday, March 12, 2016

KINGFISHER

माननीय’ तो चले गए । लेकिन “चाय” से लेकर “वाय” तक हर जगह “किंगफिशर” का ही ज़िक्र जारी है । वैसे अगर आपको ‘माननीय’ का भी पक्ष जानना है , तो ट्विटर की शरण में जाना होगा । क्योंकि आप जानते ही हैं कि विशिष्ठजनों की भड़ास या सफाई के लिए वही उचित मंच है । आखिर देश की अदालत या कानून को अपने बारे में जानकारी देना अपनी ही शान में गुस्ताखी जैसा होता है । माननीय देश की सर्वोच्च लोकतान्त्रिक संस्था का सदस्य बनते समय अपने को बिना “क़र्ज़” और बिना “संपत्ति” का घोषित कर सकते हैं , तब वो कुछ भी कर सकते हैं । तब सरकार ने उनको ‘गरीबी रेखा से नीचे वाला राशन कार्ड’ प्रदान क्यों नहीं किया ? यह भी जांच का विषय होना चाहिए । अगर तब यह “बीपीएल कार्ड” उनको दे दिया जाता , तब शायद यह गरीब माननीय देश छोड़ कर भागने को विवश नहीं होता । जय हो !