उल्लास और उमंग से भरा एक और गणतंत्र दिवस का हमारे सामने से गुज़र गया । यक़ीनन यह गर्व् करने लायक पल होते हैं । आखिर इसी दिन दुनिया के सबसे लोकतंत्र नें अपने संविधान को अमलीजामा पहनाया था । लेकिन इससे हटकर भी कुछ कड़वी सच्चाइयाँ हैं । हम हिन्दुस्तानियों का एक बड़ा हिस्सा अपने राष्ट्रीय पर्वों को सरकारी छुट्टी से ज्यादा नहीं समझता । हम सबका जो जुड़ाव और उत्साह अपने राष्ट्रीय पर्वों के लिए होना चाहिए , नदारद दिखता है । यह कोई अच्छी स्थिति हरगिज़ नहीं है । अगर हम ईद,होली,दीवाली की ख़ुशी मना सकते है , तो राष्ट्रीय पर्व क्यों अनछुये रह जाते हैं । अपनी गली-मौहल्ले में हम कयों नहीं बधाईयाँ देते नज़र आते ? क्यों हमारी सक्रियता सिर्फ सोशल मीडिया पर ही नज़र आती है ? आखिर हमारी देशभक्ति किसी क्रिकेट मैच की मोहताज़ क्यों रहती है ? ऐसे अनगिनत सवाल मुझे परेशान करते हैं । क्या आपको लगता है कि कभी इन सवालों के जवाब ढूंढें जा सकेंगे ?
सच की तलाश में शुरू हुआ सफ़र.....मंजिल तक पहुंचेगा जरुर !!!

AMIR KHURSHEED MALIK
Wednesday, January 28, 2015
Monday, January 26, 2015
अमन की बात
अमन की बात करना बेहतर
रास्ता है ! फिर भी अलगाव की कोशिशों को सोशल मीडिया पर हवा देने
का काम कुछ लोग कर रहे हैं ! इस
समाज के लिए , इस देश के लिए , और इंसानियत के लिए हमारी कुछ जिम्मेदारियां बनती हैं
! जो हम को निभाना ही चाहिए ! मगर कुछ लोग सच्ची – झूठी बातों को नमक मिर्च लगा कर हवा देते हैं ! हमारी
प्रतिबद्धता किसी भी धर्म के लिए हो सकती है ! धार्मिक होना अच्छी बात है ! पर धर्म के अधूरे ज्ञान की पोटली लिए यह लोग धर्म के
मूल भाव इंसानियत को भूल जाते हैं !
अपराध , सिर्फ अपराध होता है ! इसको धार्मिक पहचान नही दी जा सकती ! दोषी को सजा मिलनी ही चाहिए ! पर दोषी को सजा मिल पाए उससे पहले ही कई निर्दोष दंगों की बलि चढ़ जाएँ ! यह कहाँ की समझदारी है ? अगर हम सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं , अगर हम लिख सकते हैं , तो हमारी कोशिश कुछ अच्छा करने की क्यों नहीं होती ? हम अमन के पैरोकार बन कर क्यों नहीं उबरते ? दुःख देने के बजाय सुख देने का एहसास हासिल कर के क्यों नहीं देख लेते ? जोड़ने का सुख , तोड़ने के दुःख से कहीं बेहतर एहसास होता है !
अपराध , सिर्फ अपराध होता है ! इसको धार्मिक पहचान नही दी जा सकती ! दोषी को सजा मिलनी ही चाहिए ! पर दोषी को सजा मिल पाए उससे पहले ही कई निर्दोष दंगों की बलि चढ़ जाएँ ! यह कहाँ की समझदारी है ? अगर हम सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं , अगर हम लिख सकते हैं , तो हमारी कोशिश कुछ अच्छा करने की क्यों नहीं होती ? हम अमन के पैरोकार बन कर क्यों नहीं उबरते ? दुःख देने के बजाय सुख देने का एहसास हासिल कर के क्यों नहीं देख लेते ? जोड़ने का सुख , तोड़ने के दुःख से कहीं बेहतर एहसास होता है !
Thursday, January 22, 2015
पाक की नापाक साजिश
जम्मू-कश्मीर में
नियंत्रण रेखा और सीमा पर पाकिस्तान की ओर से हो रही नापाक हरकतें लगातार जारी हैं
। हालात सुधरने के बजाय लगातार बिगड़ते नज़र आ रहे हैं । भारत-पाक सीमा पर संघर्ष की घटनाएं गंभीर रूप लेती नजर आ रही हैं, लेकिन पाकिस्तान इसे समझने को तैयार नहीं लगता । संघर्ष विराम के बाद भी घुसपैठ को बढ़ावा देने वाला पाकिस्तान वर्ष 2014 में संघर्ष विराम उल्लंघन के अपने ही सारे रेकॉर्ड तोड़ चुका है। भारत की नई स्थायी सरकार के आने के बाद उम्मीद बंधी थी कि सीमा पर अशांति के मामले पर लगाम लग सकेगी , पर हालात तो दिन ब दिन और बिगड़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान ने भारत की तरफ सीमा पर अपनी फौजों की तैनाती भी बढ़ा दी है। दोनों देशों की आबादी पूरे विश्व की लगभग एक चौथाई है और दोनों परमाणु ताकत से संपन्न हैं। ऐसे में इन दोनों देशों में शान्ति और इनकी स्थिरता को विश्व शांति के लिए बहुत अहम माना जाता है। लेकिन इसके बावजूद अन्तराष्ट्रीय समुदाय अभी तक पाकिस्तान पर किसी भी तरह का दबाव बनाने में नाकाम रहा है । सीमा पर लगातार जारी इस घुसपैठ और गोलीबारी में पाकिस्तानी फौजों के साथ आतंकवादी गतिविधियों के सम्मिलित होने की बात अक्सर सामने आई है । दुनिया भर से आरोप लगते रहे हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आतंकवादियों का समर्थन करती है ।अपने ही देश में आतंकवादियों को आश्रय देने में पाकिस्तान की नीति के चलते पाकिस्तान को विश्व समुदाय से खरी-खोटी तो सुनने को मिली , पर अमेरिका समेत सारे देश पाकिस्तान में चल रही इन गतिविधियों पर रोक लगाने में नाकामयाब रहे हैं ।
। हालात सुधरने के बजाय लगातार बिगड़ते नज़र आ रहे हैं । भारत-पाक सीमा पर संघर्ष की घटनाएं गंभीर रूप लेती नजर आ रही हैं, लेकिन पाकिस्तान इसे समझने को तैयार नहीं लगता । संघर्ष विराम के बाद भी घुसपैठ को बढ़ावा देने वाला पाकिस्तान वर्ष 2014 में संघर्ष विराम उल्लंघन के अपने ही सारे रेकॉर्ड तोड़ चुका है। भारत की नई स्थायी सरकार के आने के बाद उम्मीद बंधी थी कि सीमा पर अशांति के मामले पर लगाम लग सकेगी , पर हालात तो दिन ब दिन और बिगड़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान ने भारत की तरफ सीमा पर अपनी फौजों की तैनाती भी बढ़ा दी है। दोनों देशों की आबादी पूरे विश्व की लगभग एक चौथाई है और दोनों परमाणु ताकत से संपन्न हैं। ऐसे में इन दोनों देशों में शान्ति और इनकी स्थिरता को विश्व शांति के लिए बहुत अहम माना जाता है। लेकिन इसके बावजूद अन्तराष्ट्रीय समुदाय अभी तक पाकिस्तान पर किसी भी तरह का दबाव बनाने में नाकाम रहा है । सीमा पर लगातार जारी इस घुसपैठ और गोलीबारी में पाकिस्तानी फौजों के साथ आतंकवादी गतिविधियों के सम्मिलित होने की बात अक्सर सामने आई है । दुनिया भर से आरोप लगते रहे हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आतंकवादियों का समर्थन करती है ।अपने ही देश में आतंकवादियों को आश्रय देने में पाकिस्तान की नीति के चलते पाकिस्तान को विश्व समुदाय से खरी-खोटी तो सुनने को मिली , पर अमेरिका समेत सारे देश पाकिस्तान में चल रही इन गतिविधियों पर रोक लगाने में नाकामयाब रहे हैं ।
Monday, January 19, 2015
सांस्कृतिक चेतना एवं पोषण हेतु संकल्पित व्यक्तित्व – शरद राही
शाहजहांपुर में
जब जब सांस्कृतिक कार्यक्रम की बात चलती है तो शरद राही का नाम जुबां पर आ ही जाता
है ! मुम्बई की राष्ट्रस्तरीय सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘‘युवक बिरादरी’’ के माध्यम से युवाओं मे सामाजिक, शैक्षिक सहित सांस्कृतिक पोषण हेतु देश की
विभिन्न भाषाई गीतों के प्रशिक्षणार्थ उनके प्रयासों को अनदेखा कर पाना संभव भी
नहीं है ! उ0प्र0 युवक बिरादरी के प्रदेश संचालक शरद राही मुख्य अधीक्षक, (इंजीनियरिंग), उ0रे0, शाहजहाँपुर के पद पर कार्यरत हैं ! उ0रे0 मण्डल साॅस्कृतिक संगठन, शाहजहाँपुर से भी वह सांस्कृतिक सचिव के रूप
में जुड़े रह कर रेल कर्मियों एवं उनके आश्रितों में सांस्कृतिक गतिविधियों का
माध्यम बने हुए हैं ! युवक बिरादरी द्वारा शाहजहाँपुर में ‘‘युवा महोत्सव’’ का संयोजन उनकी विशिष्ठ उपलब्धि है ! इस
कार्यक्रम से पूरे जिले में सांकृतिक बयार बहाने में उनके प्रयास से हम सब अनजान नहीं हैं !
एक सुर एक
ताल-युवक बिरादरी का राष्ट्रीय एकात्मता का प्रतिष्ठित अभियान रहा है !शाहजहांपुर
में भी इसकी भागीदारी अनूठी रही है ! शरद राही ने देश की विभिन्न भाषाओं के गीतो
एवं प्रान्तो की लोक संस्कृति का प्रशिक्षण दिल्ली, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, बरेली, इलाहाबाद, कानपुर, वृन्दावन, मथुरा सहित विभिन्न नगरो में लगभग 35 हजार छात्र-छात्राओं को देकर इस अभियान से
जोड़ा। जिले के लगभग 18 हजार युवाओ को प्रशिक्षण देकर राष्ट्रीय एकता के सूत्र में पिरोया। 2 अक्टूबर 2014 को एक सुर एक ताल के अंतर्गत पाॅच
छात्र-छात्राओं को बापू की रामधुन ‘‘रघुपति राधव राजाराम’’ का प्रशिक्षण देकर उनसे सामूहिक प्रस्तुतिकरण
कराकर बापू का स्मरण कराया। 26 अगस्त से 7 सित्मबर 2013 तक उ0प्र0 शासन के शिक्षा विभाग द्वारा आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी व इटावा में आयोजित ‘‘एक सुर एक ताल’’ में 15 हजार छात्र-छात्राओ को विभिन्न भाषाओं के
राष्ट्रीय एकात्मता गीत का प्रशिक्षण दिया गया।
भारतीयम् 1994 मे युवाओं में भाषायी दूरी को कम करने के
उद्देश्य से नगर के 5000 छात्र-छात्राओ को देश की विभिन्न भाषाओं के गीतों एवं लोक कला संस्कृति का
प्रशिक्षण देकर स्टेडियम में लगभग 20 हजार दर्शकों के मध्य मुख्य अतिथि के रूप मे बम्बई से
पधारें बिरादरी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं फिल्म निर्माता निर्देशक श्री वासु
भट्ाचार्य की उपस्थिति में जनपद के ऐतिहासिक आयोजन हुआ था ! शरद राही ने इस कार्यक्रम
का मुख्य संयोजन अपनी सम्पूर्ण विशिष्टता के साथ किया था ! काकोरी काण्ड के अमर
शहीद अशफाक रोशन बिस्मिल के शहीद दिवस 19 दिसम्बर के अवसर पर 2011 से 2014 तक प्रतिवर्ष नगर शाहजहाँपुर के पाँच हजार
बच्चो को राष्ट्रीय एकता पर आधारित विभिन्न भाषाओ के गीतो के प्रशिक्षण के साथ
श्रद्धाजंली गीत सीखाकर बच्चो द्वारा सामूहिक स्वर से श्रद्धाजंली दिलाने का कार्य
किया गया। 19 वर्षों से जिला
प्रशासन के साथ 26 जनवरी को ‘‘अमर रहे गणतंत्र हमारा’’, 15 अगस्त को ‘‘जरा याद कुर्वानी’’ व 2 अक्टूबर को ‘‘बापू दर्शन’’ कार्यक्रम आयोजित करके नगर के स्कूली बच्चों में राष्ट्रीय
पर्वों का महत्व पहुॅचाना भी शरद राही की उपलब्धि है । युवक बिरादरी द्वारा शान्ति,
स्नेह प्रबोधन यात्रा ‘‘ताज से संगम’’ (आगरा से इलाहाबाद)31 अक्टूबर से 14 नबम्बर 86 तक का संयोजन , लखनऊ में सिटीमान्टेसरी स्कूल में
09 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर ‘‘एक सुर-एक ताल’’ का आयोजन,आजाद भारत के स्वर्ण महोत्सवी वर्ष
समापन पर 09 अगस्त 98 से 17 अगस्त 98 तक विभिन्न विद्यालयों के बच्चों का
लोक संस्कृति प्रशिक्षण शिविर ‘‘एकता के स्वर-एक सुर एक ताल’’
का आयोजन ,1999 मे एक सुर एक ताल के त्रिदिवसीय प्रशिक्षण
शिविर के माध्यम से ‘‘भारत उत्सव-99’’
का आयोजन,1999 में 21 मार्च से 30 मार्च तक लखनऊ के सिटी मान्टेसरी स्कूल में ‘‘एकता केस्वर-एक सुर एक ताल’’ प्रशिक्षण शिविर में तीन हजार छात्र-छात्राओं
को प्रशिक्षण, आदि उनको लगातार चर्चा में बनाए रखने में सफल हुए हैं !20वीं सदी के संगीत की अनुभूति जन-जन तक पहुंचाने
के उद्देश्य से 31 दिसम्बर 1999 को ‘‘21वीं सदी को सलाम’’ कार्यक्रम का आयोजन एवं जिले के बयोबद्ध
संगीतकारों को ‘‘सहस्त्रब्दि
पुरूस्कार’’ , क्रान्ति महोत्सव-2001 में सांस्कृतिक संयोजन एवं नियोजन राज्य
मंत्री श्री सुरेश खन्ना द्वारा सम्मान ,14 अगस्त 2002 को ‘‘भारत के शहीदों
तुम्हे नमन’’ का मुख्य संयोजन
एवं प्रस्तुतिकरण ,02 अक्टूबर 2002 को बैले ‘‘बापू की अमर कहानी’’ एवं लधुनाटिकाओं के मंचन का संयोजन,बापू
निर्वाण दिवस 30 जनवरी 2002 पर श्रद्धाजंलि एवं प्रार्थना सभा का आयोजन ,बापू
की दांडी मार्च की 75वीं वर्षगांठ पर
संकल्प यात्रा‘‘ मे मुख्य मंत्री
श्री मुलायम सिंह यादव सहित लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर, शाहजहाँपुर, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद, गढ़ मुक्तेश्वर व
गाजियाबादके जिलाधिकारियों द्वारा सम्मान उनकी अन्य उपलब्धियां हैं !
शरद राही प्रतिवर्ष मुम्बई में आयोजित राष्ट्रीय स्नेह
छावणी में प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं !‘‘प्रयास’’ संस्था द्वारा आयोजित ‘‘प्रयास उत्सव’’ के अंतर्गत विभिन्न प्रतियोगिता का आयोाजन , 22 नबम्वर 95 को परिक्रमा
संस्था द्वारा डा0 गिरिजानन्दन
त्रिगुनायत लिखित काव्य नाटक ‘‘कुणाल’’ का मुख्य संयोजन
एवं ‘‘कुणाल’’ की मुख्य भूमिका ,18 दिसम्बर 99 को शहीद उद्यान के लोकापर्ण पर ‘‘अभिनन्दन समूह गायन’’ का निर्देशन ,पंजाबी संगीत का आॅडियो एलबम ‘‘टोटा बड़े कमाल दा’’ को गीतों का स्वरबद्ध एवं संगीत संयोजन
निर्देशन,वालीवुड गायक श्री ललित नेगी के गीतों का स्वरबद्ध एवं संगीत निर्देशन कर
दिल्ली के कल्याणी स्टूडियो में रिकार्डिंग,प्रधानमंत्री श्री विश्वनाथ प्रताप
सिंह के निवास पर शाहजहाँपुर के कलाकारों का कार्यक्रम , लखनऊ मे आयोजित फेस्का एवार्ड- 2001 कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में उन्होंने
किया है !सामजिक सरोकारों से भी उतनी ही गहराई से जुड़े शरद राही 1992 से 2000 तक रक्तदान महादान का संदेश हेतु इन्दिरा
गाँधी राष्ट्रीय ब्लड बैंकसे बरेली
मण्डल अध्यक्ष के रूप में जुड़े रहे !18 अप्रैल 1996 को गाँधी वादी विचारक श्री एस0एन0 सुब्बाराव की ‘‘सद्भावना रेल यात्रा’’ का स्वागत एवं संयोजन,13-15 जनवरी 97 को गन्ना शोध परिषद मे आयोजित राष्ट्रीय
वैज्ञानिक संगोष्ठी का सांस्कृतिक कार्यक्रम संयोजन , 21 नवम्बर 1997 को नगर विधायक/राज्य मंत्री श्री सुरेश खन्ना
द्वारा प्रारम्भ किये गये ‘‘विशेष सफाई अभियान’’ गोविन्दगंज से पंखी चैराहा तक मुख्य संयोजन ,24 अगस्त 1998 को ‘‘राष्ट्रीय एकता रैली-हम सब एक है’’ का संयोजन,25 जुलाई 99 को कारगिल शहीद की सहायतार्थ कार्यक्रम ‘‘एक शाम शहीदों के नाम’’ आयोजित कर रू0 5000.00 धनराशि प्रधानमंत्री सुरक्षा कोष को भेजना , एवं युवा संगठनों की राष्ट्रीय
समिति की ‘‘राष्ट्रीय युवा
कार्यशाला’’नई दिल्ली में उ0प्र0 का प्रतिनिधित्व शरद राही के ही नाम है !केन्द्रीय
स्वास्थ्य मंत्री श्री शत्रुधन सिन्हा के आवाहन पर 25 अगस्त से 8 सितम्बर 2002 तक ‘‘नेत्रदान राष्ट्रीय पखवाड़ा’’ के अंतर्गत संकल्प अभियान ’‘कोई देखे हमारी आँखों से’’ का आयोजन एवं संयोजन ,बापू के 134वें जनदिवस 02 अक्टूबर 2003 को ‘‘आओ साथ चले’’ पदयात्रा का
संयोजन ,09 फरवरी 2005 को सुनामी पीडि़तों की सहायतार्थ सामग्री
एकत्रीकरण एवं ‘‘एक शाम सुनामी
पीडि़तों के नाम’’ का मुख्य संयोजन
कर एकत्र राशि जिलाधिकारी को प्रदत्त,जिले के कलाकारो के प्रोत्साहनार्थ, सामाजिक, शैक्षिक सांस्कृतिक गतिविधियो को केबिल टी0वी0 के माध्यम से घर-घर तक पहुंचाने के लिये ‘‘सिटी दर्पण’’ चैनल की स्थापनाएवं हर घटना हर पहलू पर एक नजर
के लिये ‘‘खबरो से रूबरू
सिटी हलचल’’ का निर्माण भी
उनके नाम के साथ ही जुडा हुआ है !
शरद राही को कई सम्मान
मिल चुके हैं !उन्हें प्रदेश स्तर पर सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से युवाओं
मे राष्ट्रीय एकात्मता के पोषण मे सक्रियता
हेतु ‘‘मुख्य मंत्री
श्री राजनाथ सिंह’’ द्वारा 22 जनवरी 20036 को‘‘शाहजहाँपुर गौरव सम्मान’’ , 1992 मे अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय पार्षद मनोनयन
पर ‘‘चित्रांश प्रेरणा सम्मान’’
,हिन्दी सुलेख एवं हिन्दी में सर्वाधिक कामकाज करने पर रेल
मंत्रालय का‘‘सर्वोच्च राजभाषा
सम्मान’’ , अप्रैल 1996 को चान्दपुर (बिजनौर) में श्री रामचन्द्र
रिसर्च फाउन्डेशन, लखनऊ द्वारा सांस्कृतिक क्षेत्र का ‘‘राजकुमार वर्मा एवार्ड-96’’ , सांस्कृतिक एकता मंच के संस्थापक राष्ट्रीय कवि
श्री राजबहादुर विकल द्वारा संस्कृति एवं समाज सेवा क्षेत्र का ‘‘ज्योति कलश अंलकरण-1999‘‘ सम्मान,मार्च 2000 को नगर पालिका चेयरमैन श्रीमती सरोज गुप्ता
द्वारा संस्कृति एवं सामाजिक प्रेरणा का ‘‘नगर गौरव-2000’’ सम्मान ,जिज्ञासु सेवा संस्थान द्वारा ‘‘जिज्ञासु सम्मान-2001’’ ,संकल्प संस्था द्वारा बुद्धिजिवियो के सम्मानार्थ आयोजित ‘‘महामूर्ख सम्मेलन-2001’’ में ‘‘मूर्ख शिरोमणि सम्मान’’ ,श्री चित्रगुप्त कायस्थ सभा द्वारा ‘‘कायस्थ रत्न-2001’’,27 दिसम्बर 2010 को होप्स फाउन्डेशन द्वारा आयोजित शाहजहाँपुर
फैस्टिवल मे संस्कृति एवं युवा विकास क्षेत्र का ‘‘जनपद विभूति-2010’’ सम्मान ,जूनियर चैम्बर इन्टर नेशनल लखीमपुर
द्वारा 14 सितम्बर 2011 को ‘‘तराई कला रत्न सम्मान’’ ,आगरा, फिरोजाबाद,
मैनपुरी व इटावा मे एक
सुर एक ताल के माध्यम से पन्द्रह हजार छात्र-छात्राओं को विभिन्न भाषाओं के गीतों
का प्रशिक्षण- उ0प्र0 शासन के शिक्षा निदेशक श्री वासुदेव यादव
द्वारा ‘‘मुख्य प्रशिक्षक
सम्मान’’ दिया जा चूका है !
Sunday, January 18, 2015
दिल्ली चुनाव
तुम मुझे बिलकुल भी पसंद नही हो !
राष्ट्रहित में हमेशा ही तुम्हारा विरोध करता आया हूँ !
यकीनन आगे भी करता रहूँगा !
चुनाव में जनता तुमको सबक़ सिखाएगी !
................. लेकिन
............लेकिन
.....लेकिन
अगर मुझको बहुमत नही मिला ...... तो ,
तुम्हारे साथ मिलकर सरकार भी बनाऊँगा !!!!!!
राष्ट्रहित में हमेशा ही तुम्हारा विरोध करता आया हूँ !
यकीनन आगे भी करता रहूँगा !
चुनाव में जनता तुमको सबक़ सिखाएगी !
................. लेकिन
............लेकिन
.....लेकिन
अगर मुझको बहुमत नही मिला ...... तो ,
तुम्हारे साथ मिलकर सरकार भी बनाऊँगा !!!!!!
Thursday, January 15, 2015
यू टर्न
मुझे अच्छी तरह पता है कि राजनीति अच्छी चीज़ नहीं है ! भ्रष्टाचार के विरुद्ध सशक्त आवाज़ इससे अलग रह कर ही उठाई जा सकती है ! चूँकि मेरी प्राथमिकता, ............मेरी लड़ाई भ्रष्टाचार के विरुद्ध है इसलिए मै इसमें कभी शामिल नहीं हूँगा ...................................... लेकिन
...............................लेकिन
.....................लेकिन
.............लेकिन
...लेकिन
अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद मिले , तो इरादा बदल भी सकता है
...............................लेकिन
.....................लेकिन
.............लेकिन
...लेकिन
अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद मिले , तो इरादा बदल भी सकता है
Saturday, January 10, 2015
बाल साहित्यकारों में एक सशक्त नाम : डा. नागेश पांडेय 'संजय'
बाल साहित्यकारों का जब
ज़िक्र होता है तो ऐसा संभव ही नहीं है कि डा. नागेश पांडेय 'संजय' का नाम जहन में ना आये ! शाहजहांपुर का यह
रचनाकार देश की सभी प्रतिष्ठित पत्र- पत्रिकाओं में
बच्चों के लिए कहानी , कविता , एकांकी , पहेलियाँ और यात्रावृत्त से अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा चूका है ! बच्चों के मन की कोमलता और जिज्ञासाओं के बीच
अदभुत सामंजस्य बिठाते हुए प्रेरक सन्देश दे जाने के गुण को बखूबी जानने वाले डा. नागेश पांडेय 'संजय' सरल स्वभाव के
मालिक हैं ! उनका जन्म ०२
जुलाई १९७४ को खुटार ,शाहजहांपुर में हुआ था ! माता श्रीमती
निर्मला पांडेय एवं पिता श्री बाबूराम पांडेय के संस्कार और शिक्षा की बदौलत उन्होंने
सही और गलत के अंतर को बचपन में ही पहचान लिया ! यही वजह है कि उनकी बाल्यकाल की रचनाओं में भी एक संस्कारिक
सन्देश छुपा होता था ! जिसको व्यक्तिगत
रूप से स्वयं मैंने भी महसूस किया है ! क्योंकि उनके
रचना संसार के उस आधार स्तम्भ के निर्माण के दौरान मैंने उनके साथ बहुत सारी आत्मीय
चर्चाओं के मध्य एक परिपक्व बाल साहित्यकार को उभरते देखा है !
राजेंद्र प्रसाद पी. जी. कालेज , मीरगंज, बरेली में प्राध्यापक एवं विभागाद्यक्ष , (बी. एड.) डा. नागेश नें बाल साहित्य के अतिरिक्त बड़ों के लिए भी गीत एवं कविताओं का सृजन किया है ! उनके बाल कहानी संग्रह “नेहा ने माफ़ी मांगी” , “आधुनिक बाल कहानियां” , “अमरुद खट्टे हैं” , “मोती झरे टप- टप” , “अपमान का बदला” , “भाग गए चूहे” ,. “दीदी का निर्णय” , “मुझे कुछ नहीं चहिये” एवं “यस सर नो सर” बच्चों के लिए उनकी अनमोल सौगात है ! उनके बाल कविता संग्रह “चल मेरे घोड़े” ,. “अपलम चपलम” , “लारी लप्पा” एवं “यदि ऐसा हो जाए “ बच्चों को गुनगुनाने के साथ –साथ सीख देने का भरपूर खजाना समेटे हुए हैं ! उनकी रचनाओं के अंग्रेजी, पंजाबी , गुजराती , सिंधी , मराठी , नेपाली , कन्नड़ , उर्दू , उड़िया आदि अनेक भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं ! अनेक रचनाएँ दूरदर्शन तथा आकाशवाणी के नई दिल्ली , लखनऊ , रामपुर केन्द्रों से प्रसारित हो चुकी हैं ! डा. नागेश नें आलोचना ग्रन्थ “बाल साहित्य के प्रतिमान” ,”बाल साहित्य : सृजन और समीक्षा” एवं कविता संग्रह : “तुम्हारे लिए” से अपनी पैनी द्रष्टि का परिचय भी हम सबको दिया है ! इसके अतिरिक्त बाल पहेलियाँ : “जो बूझे वह चतुर सुजान”,बाल एकांकी संग्रह : “छोटे मास्टर जी’, सम्पादित संकलन. “न्यारे गीत हमारे” , “किशोरों की श्रेष्ठ कहानियां” , “बालिकाओं की श्रेष्ठ कहानियां” , “इन्द्रधनुषी बाल कहानियाँ” से भी उनके उनके बहुआयामी तेवरों से हम सब रूबरू हो चुके हैं ! उनको कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं ! उनके उज्जवल भविष्य हेतु हार्दिक शुभकामनाएं !
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